सूर्य परिवार / सौरमंडल
सूर्य परिवार के अंतर्गत सूर्य, 8 ग्रह, 4 बौने ग्रह, उपग्रह, उल्का पिंड, धूमकेतु, शुद्रग्रह आते है |
सूर्य ( Sun ) :-
सूर्य के प्रकाशीय भाग को प्रकाश मंडल ( Photosphare ) कहा जाता है सूर्य का
बाहरी भाग जो केवल सूर्य ग्रहण के समय दिखाई देता है, करोना / किरित कहा जाता है
करोना का तापमान 6000 सेन्टीग्रेट होता है सूर्य से लगातार सौर ज्वाला निकलते रहता
है यह सौर ज्वाला कभी – कभी पृथ्वी के वायुमंडल में भी पहुच जाती है | वायुमंडल के
धुल – कण से टकराने के कारण यह रंग – बिरंगी दिखाई देता है इसे उतरी ध्रुव तथा
दक्षिणी ध्रुव से देखा जा सकता है | उतरी ध्रुव पर इसे अरोरा वोरियालिस जबकि
दक्षिणी ध्रुव पर इसे अरोरा ऑस्ट्रेलियालिस कहते है सूर्य के जिस भाग से यह सौर
ज्वाला निकलती है वहाँ काला धब्बा पड़ जाता है जिसे सौर कलंक कहा जाता है यह सौर
कलंक विद्युत चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न करता है जिस कारण से पृथ्वी पर बेतार संचार व्यवस्था
बाधित होता है |
आठो ग्रहों का विवरण निम्नलिखित है –
1. बुध ( Mercury ) :-
यह सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह है यह सूर्य की परिक्रमा 88 दिनों में पूरा
करता है तथा अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाने में 90 दिन का समय लेता है यानि बुध का
एक दिन पृथ्वी के 90 दिन के बराबर होता है बुध का तापान्तर सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा
है दिन में यहाँ का तापमान 100° सेंटीग्रेट होता है जबकि रात में यहाँ का तापमान -150°
सेंटीग्रेट रहता है | सभी ग्रहों में सबसे अधिक घनत्व इसी ग्रह का है बुध का एक भी
उपग्रह नहीं है|
2. शुक्र ( Venus ) :-
सूर्य के दुरी के हिसाब से यह दूसरा ग्रह है यह सूर्य की परिक्रमा 225 दिनों
में पूरा करता है Co2 और H2SO4 के अधिक मौजूदगी
के कारण यह सब से अधिक गर्म ग्रह है शुक्र को साँझ का तारा, भोर का तारा एवं
पृथ्वी का बहिन कहा जाता है इस ग्रह का भी एक भी उपग्रह नहीं है |
3. पृथ्वी ( Earth ) :-
जल के अधिकता के कारण पृथ्वी अंतरिक्ष से नीला दिखाई देता है इस लिए इसे नीला
ग्रह भी कहा जाता है पृथ्वी का आकर जियॉड ( Zeoid ) है पृथ्वी का औसत घनत्व 5.5 m3
है पृथ्वी तथा सूर्य का औसत दुरी 14.98 करोड़ किलोमीटर है | पृथ्वी तथा
सूर्य का न्यूनतम दुरी जिसे उपसौर कहा जाता है 14.70 करोड़ किलोमीटर है | पृथ्वी
तथा सूर्य का अधिकतम दुरी जिसे अपसौर कहा जाता है 15.21 करोड़ किलोमीटर है | उपसौर 3
जनवरी को तथा अपसौर 4 जुलाई को होता है पृथ्वी का विषुवत रेखीय व्यास 12756 KM है
जबकि ध्रुवीय व्यास 12713 KM है पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365 दिन 5
घंटा 43 मिनट ( 365 दिन 6 घंटा ) का समय लगाती है | जबकि अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरी
करने में 23 घंटा 56 मिनट ( 24 घंटा ) का समय लेती है |
4. मंगल ( Mars ) :-
यह सूर्य की परिक्रमा करने में 687 दिन का समय लेती है मंगल का घूर्णन अवधी
पृथ्वी के घूर्णन अवधी के बराबर है यानि मंगल अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाने में 24
घंटा का समय लेती है फेरस ऑक्साईड के अधिक मौजूदगी के कारण यह ग्रह लाल दिखाई देता
है इसलिए इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है मंगल के दो उपग्रह फ़ोबस ( भय ) एवं डिमोस (
डर ) है डिमोस सौर परिवार का सबसे छोटा उपग्रह है सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत
निक्स – ओलंपिया मंगल ग्रह पर ही स्थित है और सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी
ओलिपस – मेसी भी इसी ग्रह पर स्थित है |
5. वृहस्पति ( Jupitor ) :-
यह सूर्य की परिक्रमा 119 वर्षो में पूरा करता है यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह
है सौरमंडल में सबसे अधिक उपग्रह इसी ग्रह के पास है | इसके उपग्रहों की कुल
संख्या 63 से अधिक हो चुकी है सबसे बड़ा उपग्रह गेनी मेड है यह सौरमंडल का सबसे बड़ा
उपग्रह है गेनीमेड बुध के बराबर है बृहस्पति में ग्रह एवं तारा दोनों का गुण पाया
जाता है क्युकी इस के पास स्वय की रेडिओ तरंग है रेडिओ तरंग तारो में पाया जाता है
न की ग्रह में |
6. शनि ( Saturn ) :-
यह सूर्य की परिक्रमा 29.5 वर्षो में पूरी करता है यह खुली आँखों से दिखाई
देने वाला अंतिम ग्रह है इसे पिला ग्रह भी कहा जाता है शनि का घनत्व सभी ग्रहों
में सबसे कम है शनि ग्रह के चारो ओर वलय पाए जाते है ये वलय धुल कण से बने है और
शनि की परिक्रमा करते है |
7. अरुण ( Uranus ) :-
इसकी खोज 1781 ई० में विलियम हरसेल ने किया था यह अपने अक्ष पर 0 ° झुका हुआ
है अधिक अक्षीय झुकाव के कारण इसे लेटा हुआ ग्रह कहा जाता है | मीथेन के अधिक
मौजूदगी के कारण यह हरा दिखाई देता है इसलिए इसे हरा ग्रह भी कहा जाता है |
8. वरुण ( Neptune ) :-
इसकी खोज जोहान गाले की थी |
नोट 1 – बुध
एवं शुक्र का एक भी उपग्रह नहीं है बाकि सभी ग्रहों का उपग्रह है |
नोट 2 – शुक्र
एवं युरेनस को छोड़कर सभी 6 ग्रह पश्चिम से पूर्व की ओर घूर्णन करते है जबकि सुकर
एवं युरेनस पूर्व से पश्चिम की ओर घूर्णन करते है इसलिए इन दोनों पर सूर्योदय
पश्चिम में तथा सूर्यास्त पूर्व में होता है |
नोट 3 – सूर्य
से दुरी के अनुसार ग्रहों का क्रम – बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि,
युरेनस, नेपच्यून |
नोट 4 –
पृथ्वी से दुरी के अनुसार ग्रहों का क्रम – शुक्र, मंगल, बुध, वृहस्पति, शनि,
युरेनस, नेपच्यून |
नोट 5 – आकर
के अनुसार ग्रहों का क्रम – (1) वृहस्पति, (2) शनि, (3) युरेनस,
(4) नेपच्यून (5) पृथ्वी, (6)
मंगल, (7) शुक्र, (8) बुध,
बौना ग्रह :-
इस की संख्या 4 है जो निम्न है-
(1)प्लूटो, (2) सीरिस, (3) इरिस, (4) जेना
चन्द्रमा ( Moon ) :-
चन्द्रमा के आंतरिक भाग का अध्ययन सेलेनोलॉजी कहलाता है पृथ्वी से चन्द्रमा की
दुरी 384365 km है पृथ्वी से चन्द्रमा का 59 % भाग देखा जा सकता है जबकि 41% भाग
कभी भी दिखाई नहीं देता है | चन्द्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में 27 दिन 7 घंटा
43 मिनट का समय लेता है जबकि अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाने में चन्द्रमा 24 दिन 7
घंटा 43 मिनट समय लेता है | चन्द्रमा का व्यास 3476 km है चन्द्रमा एवं पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण
शक्ति का अनुपात 5:11 होता है | चन्द्रमा का सबसे ऊँचा पर्वत लिवनिट्ज है इसकी
ऊँचाई 35 हजार फिट है और यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है | चन्द्रमा पर
धुल के मैदान को शांति सागर कहा जाता है |
उल्का पिंड ( Meteous ) :-
उल्का पिंड धुल कण से बने आकाशीय पिंड होते है ये सौरमंडल में अनियमित रूप से
चक्कर लगाते है जब ये अनियमित रूप से चक्कर लगाते वायुमंडल में प्रवेश करते है तो
घर्षण के कर्ण जलने लगता है जिसे टूटता हुआ तारा ( Shotting Star ) कहा जाता है ये
वायुमंडल में ही जल कर राख हो जाते है कभी- कभी इसका कुछ अवशेष पृथ्वी के धरातल पर
आ जाता है
धूमकेतु / पुच्छल तारा (Comet):-
ये धुल – कण एवं बर्फ से बने आकाशीय पिंड होते है जो सूर्य
का अनियमित रूप से चक्कर लगाते है धूमकेतु सूर्य से दूर अँधेरे एवं ठन्डे क्षेत्र
में रहते है जब ये कभी सूर्य के नजदीक गुजरते है तो इनसे गैसों की फुहार निकलती है
जो पूछ की तरह प्रतीत होती है यह पूछ लाखो किलोमीटर हो सकता है धूमकेतु के मुह को
कोमा कहते है हेली पुच्चल तारा 76 वर्षो के अंतराल पर दिखाई देता है पिछली बार यह 1986
ई० में देखा गया था और अगली बार यह 2062 ई० में दिखाई देगा |
शुद्र गृह (Astoroid)
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